भारत की पहली महिला कोरियोग्राफर के संघर्ष और सफलता की कहानी को टी-सीरीज़ के भूषण कुमार एक बायोपिक में प्रस्तुत करेंगे। भारत के प्रमुख प्रोडक्शन हाउस, टी-सीरीज़ ने प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सरोज खान की बायोपिक बनाने के अधिकार हासिल कर लिए हैं।
अपनी डांस कोरियोग्राफी से बॉलीवुड में धूम मचाने वाली, निर्मला किशनचंद साधु सिंह नागपाल उर्फ सरोज खान को कई सफल गीतों के लिए जाना जाता था, जो ज्यादातर 80 और 90 के दशक में आये थे। लगभग 50 वर्षों के करियर में कई बड़े एक्टर्स के साथ काम किया और इंडस्ट्री के कुछ सबसे प्रसिद्ध डांस सीन तैयार किए।
भूषण कुमार ने हाल ही में सरोज खान के बच्चों राजू खान, सुकैना खान और हिना खान की बेटियों से उनकी लाइफ स्टोरी के अधिकार हासिल किए।
कोरियोग्राफर, सरोज खान उन चंद महिलाओं में से थीं, जिन्होंने उस समय काम किया था जब लगभग सभी तकनीशियन पुरुष ही होते थे। सरोज खान इंडस्ट्री में 3 वर्ष की उम्र में आई थीं और 10 वर्ष की उम्र में डांसर बन गईं। इसके बाद, जल्द ही 12 वर्ष की उम्र में असिस्टेंट कोरियोग्राफर भी बन गईं। अपने करियर में लगभग 3500 गीतों की कोरियोग्राफी करने वाली सरोज खान ने हमें ‘एक दो तीन’, ‘चोली के पीछे क्या है’, ‘हवा हवाई’, ‘धक धक करने लगा’ जैसे कई हिट डांस सॉन्ग दिए हैं। इनके अलावा ‘देवदास’, ‘लम्हे’, ‘नगीना’, ‘कलंक’, ‘चांदनी’, ‘सांवरिया’, ‘ताल’, ‘बेटा’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, और कई अन्य फिल्मों में लोकप्रिय गाने भी दिए। राष्ट्रीय पुरस्कार से तीन बार सम्मानित और माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी के साथ अपनी ट्यूनिंग के लिए चर्चित सरोज खान ने कई नये एक्टर्स के साथ भी काम किया।
भूषण कुमार कहते हैं कि “सरोज जी ने न केवल अपने डांस मूव्स को परफॉर्म करने वाले कलाकारों के जरिये दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में कोरियोग्राफी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया। उनके डांस फॉर्म फिल्म की कहानी बताते थे, जिससे हर फिल्म निर्माता को मदद मिली। वह दर्शकों को सिनेमाघरों तक ले आईं, जिन्होंने अपने पसंदीदा एक्टर्स को सरोज खान के बताये स्टेप्स पर नाचते देखा। 3 साल की छोटी-सी उम्र में शुरू हुए सरोज जी के सफर में काफी उतार-चढ़ाव रहे और इंडस्ट्री में उन्हें जो सफलता और सम्मान मिला, उसे जीवंत रूप में प्रस्तुत करना है। मुझे याद है कि मैं अपने पिता के साथ फिल्म के सेट पर जाता था, जहां सरोज जी अपनी कोरियोग्राफी से गानों में जान डालते देखता था। कला के प्रति उनका समर्पण प्रशंसनीय था। मुझे खुशी है कि सुकैना और राजू इसके लिए राजी हो गए कि हम उनकी माँ की बायोपिक बनाएं।”