रायपुर। Bhulan The Maze: छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म ‘भूलन द मेज’ को रीजनल फिल्म कैटेगरी में बेस्ट फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। प्रदेश के ही फिल्मकार मनोज वर्मा ने इस फिल्म को बनाया है। इसकी शूटिंग रायपुर के नजदीक महुआभाठा गांव व आसपास के जंगलों में हुई है जहां कई तरह के खतरों और दिक्कतों के बाद ये फिल्म बन पाई है। फिल्म की कहानी संजीव बख्शी के उपन्यास भूलन कांदा पर आधारित है।

मेन स्ट्रीम सिनेमा नहीं होने की वजह से ‘भूलन द मेज’ को देश में स्क्रीन नहीं मिल रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित होने के बाद इसकी कहानी पर चर्चा शुरू हुई और अब यह फिल्म 27 मई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। रिलीजिंग से पहले आज फिल्म का एक नया ट्रेलर लांच हुआ है। ट्रेलर इस ट्रेलर को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह फिल्म कितनी मनोरंजक और मजेदार होगी।
बेहद खास है फिल्म का विषय
कैमरे के पीछे की स्टोरी बयां करते हुए फिल्म के डायरेक्टर मनोज वर्मा ने कहा कि ये फिल्म संजीव बख्शी के उपन्यास भूलन कांदा पर बनी हैइस फिल्म बनाने में मेहनत बहुत लगी और सभी कलाकारों ने जमकर मेहनत की। फिल्म की कहानी का केंद्र बिंदु भूलन नाम का एक कांदा है, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाता है। लोग ऐसा कहते हैं कि इस कांधे पर पैर पड़ने के बाद इंसान अपना रास्ता भूल जाता है।
मनोज ने बताया कि केशकाल के एक वैद्य ने भी भुलन कांदा का पौधा उन्हे दिखाया था जिसे पार करते ही लोग रास्ते भटक जाते हैं और मलेरिया का इलाज भी इससे ग्रामीण आदिवासी करते हैं। इसी रास्ते की भूल-भूलैय्या और न्याय व्यवस्था पर भूलन द मेज बनाई गई है। पीपली लाइव जैसी फिल्मों में मुख्य किरदार में नजर आ चुके छत्तीसगढ़िया कलाकार ओंकारदास मानिकपुरी इस फिल्म में लीड कैरेक्टर हैं।
मनोज वर्मा ने बताया कि फिल्म बनाते समय ही सोच लिया था कि इसे नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर जारी करना है और अब नेशनल अवार्ड के लिए चयनित होने से उम्मीदें बढ़ गई हैं। मनोज वर्मा ने कहा कि फिल्म बनाने के बाद उसका कमर्शियल सक्सेस होना जरूरी है तभी कोई फिल्मकार कोई दूसरी फिल्म बनाने के बारे में सोच सकता है और इसलिए सरकार का भी सिनेमा को सहयोग करना जरूरी है।